सफ़र ज्योतिष से गूगल तक!




सीकर.'नाम में जो रखा है उसे महसूस किया जा सकता है। फूल के तसव्वुर में नर्मी जहां से आती है। सूल की कल्पना में चुभन उसी की देन है। अब कैसे कहें कि नाम से दूर होता है उसका असर।'

एक कवि की यह पंक्तियां स्पष्ट कर देती है कि नाम ही व्यक्ति के गुण, स्वभाव, उसकी पर्सनेलिटी का अहसास करा देता है। नाम का यही अहसास आज अभिषेक बच्चन, आमिर खान से लेकर आम आदमी तक को सोचने पर मजबूर कर रहा है। ऐश्वर्या राय के बेटी हुई तो अभिषेक बच्चन ने प्रशंसकों से अपील की कि ट्विटर के जरिए बेटी का नाम सुझाएं।

आमिर खान ने भी अपने बेटे का नामकरण करने में काफी समय लिया। नामकरण की समस्या केवल सेलिब्रेटी तक सीमित नहीं बल्कि हर मध्यम व उच्च वर्ग में भी इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। सीकर को ही लें तो यहां के लोग भी नाम को लेकर काफी चूजी हो गए हैं।

कुछ नाम तो ऐसे हैं, जिन्होंने लोगों ने ओल्ड फैशन बनाकर साइड लाइन कर दिया है। मॉडर्न युग में नाम भी बदल रहे हैं और हर कोई अपने बच्चे को नाम से अलग पहचान देना चाह रहा है। दैनिक भास्कर ने नगर परिषद में पिछले कुछ समय में जारी हुए जन्म प्रमाण पत्रों का रिकॉर्ड खंगाला तो करीब 10 हजार नामों में ये नाम ज्यादा मिले।


ज्योतिष विशेषज्ञ वेदाचार्य पंडित वासुदेव शर्मा के अनुसार भारतीय संस्कृति में 16 संस्कारों में नामकरण संस्कार सबसे अहम माना जाता है। विधि विधान से नामकरण करने की परंपरा और ज्योतिषीय आधार है। नामकरण जन्म के 11 से 27 दिन के अंदर शुभ मुहूर्त में किया जाता है।

शिशु के जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में संचरण करता है, वह राशि जन्म राशि कहलाती है और इस राशि में आने वाले नामाक्षर पर उसका नाम रखा जाता है। अक्षर विशेष में नाम रखने के लिए कुल 27 नक्षत्रों के चार चार चरण किए गए हैं। इनमें जिस चरण में जन्म होता है, उसी अक्षर विशेष पर नाम रखा जाता है।

उदाहरण के लिए बालक का जन्म अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है तो बालक का नामाक्षर चे होगा। अत: बालक का नाम चैतन्य रखा जा सकता है। अश्विनी नक्षत्र में चार अक्षर चू, चे, चो और ला अक्षर होते हैं। धर्म सिंधु ग्रंथ के अनुसार नाम कम अक्षरों वालों होना चाहिए। पुत्र का नाम सम व पुत्री का नाम विषम संख्या में होना चाहिए।

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