जयपुर लिंग जाँच व कन्या भू्रण हत्या की सबसे बड़ी मण्डी

जयपुर,- राजस्थान व उत्तरी भारत में बालिका लिंगानुपात में भारी गिरावट आ रही है जो एक चिन्ता का विषय है। समाज के बुद्धिजीवी, प्रबुद्धन व मीडिया से जुड़े लोगों का दायित्व है कि लड़कियों की घटती संख्या पर सरकार का ध्यान आकर्षित करावें तथा लिंग जाँच के लिये बना कानून का प्रभावी क्रियान्वयन करवाने में सहयोग करें। रविवार को होटल ओम टॉवर में ैत्ज्ञच्ै व प्लान इण्डिया के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राज्य स्तरीय मिडिया कार्यशाला को एस.आर.के.पी.एस. ;ैत्ज्ञच्ैद्धए जयपुर के सचिव राजन चौधरी ने घटते लिंगानुपात विषय पर चर्चा करते हुये व्यक्त किये।
    चौधरी ने कहा कि राजस्थान में 2011 की जनगणना के आंकड़ों में 1000 लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या 900 से कम आ रही है। जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 0-6 वर्ष के बच्चों में प्रतिदिन 300 लड़कियों को लिंग जाँच के बाद गर्भ समापन कर मार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अप्रेल 2010 से मार्च 2011 तक कुल 13,65,505 शिशुओं का जन्म हुआ जिसमें 7,08,383 लड़के व 6,28,122 लड़कियाँ पैदा हुई अर्थात् लिंगानुपात 887 है। गिरते लिंगानुपात का कारण सोनोग्राफी सेन्टरों द्वारा लिंग जाँच करना ही मुख्य रूप से पाया गया है। जियपुर जिले में 250 सोनोग्राफी सेन्टर तो सिर्फ लिंग जॉच करने में ही लिप्त है। राजस्थान में लगभग 1000 सोनोग्राफी सेन्टर च्ब्च्छक्ज् ।बज का उल्लंघन करते है जो लिंग जाँच करने व लिंग जाँच के बाद लड़की होने पर गर्भ समापन करने का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान की राजधानी जयपुर लिंग जाँच व कन्या भ्रूण हत्या की सबसे बड़ी मण्डी है। जयपुर जिले में 600 से अधिक सोनोग्राफी सेन्टर संचालित है जिनमें से 50 फीसदी से अधिक तो ऐसे सेन्टर हैं जिनकी कभी समुचित प्राधिकारी द्वारा जाँच भी नहीं हुई है। चौधरी ने कहा कि हमारी टीम द्वारा समय-समय पर प्रशासन के साथ मिलकर या प्रशासन के बिना स्टींग ऑपरेशन किये गये हैं जिनमें यह पाया गया कि अधिकांश सोनोग्राफी सेन्टर लिंग जाँच करने के लिए तैयार रहते हैं। लिंग जाँच करवाने में मुख्य ऐजेंट या दलाल का काम स्वास्थ्य कर्मियों या मेडिकल स्टोर में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है।
    चौधरी ने कहा कि राजस्थान में घटते लिंगानुपात का असर अब गाँव, शहर, गली व मौहल्लों में भी दिखाई देने लगा है। कुआंरों की फौज खड़ी हो रही है। एक हजार की जनसंख्या पर 10-15 लड़के जो शादी योग्य हैं लेकिन शादी नहीं होने के कारण कुआंरे घूम रहे हैं। इसके कारण रेप, अपहरण व अन्य प्रकार की आपराधिक घटनाओं में वृद्धि हुई हैै। उन्होंने कहा कि गत 10 वर्ष से संस्था द्वारा किये गये अध्ययन में यह साफ दिखता है कि जबसे नवीनतम तकनीकी की सोनोग्राफी मशीन का दुरूपयोग शुरू किया गया है तभी से लड़कियों की संख्या में भारी कमी आई है। लड़के की चाहत को सबसे अधिक उच्च व मध्यम शिक्षित वर्ग ही लिंग जाँच करवाता है। आर्थिक रूप से अच्छी स्थिति व शिक्षित वर्ग लिंग जाँच व कन्या भू्रण हत्या कराने में आगे है। जबकि गरीब तबके के परिवारों में लिंग जाँच नहीं के बराबर होती है।  जयपुर में सबसे अधिक लिंग जाँच व कन्या भ्रूण हत्या को कम करने के लिए संस्था ने एक परियोजना भी शुरूआत की है। बालिका को जन्म लेने दो नामक परियोजना का संचालन जयपुर शहर व ग्रामीण क्षेत्र में किया जा रहा है। संस्था के राज्य परियोजना समन्वयक रामबाबू भट्ट ने राजस्थान व जिलों में लड़कियों की घटती संख्या पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम की प्लान इण्डिया प्रतिनिधि देवजानी खान ने कहा कि लिंग जाँच व कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए उनके जंुड़े मिडियाकर्मी इस सामाजिक बुराई को दूर करने में पूर्ण सहयोग करेंगे। खान ने प्लान इण्डिया द्वारा किये जा रहे कार्यक्रमों की विस्तार से चर्चा करते हुए कन्या भ्रूण हत्या रोकने व लिंग जाँच कानून के प्रभावी क्रियान्वयन करने पर बल दिया। अन्त में मीडिया सलाहकार कल्याण सिंह कोठारी ने सभी का आभार प्रकट किया। 
                                                            राम बाबू  -- कल्याण सिंह कोठारी

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