आखिर क्यों दूर है जादूगर पदमश्री अवार्ड से

नई दिल्ली,(प्रेमबाबू शर्मा)..... केन्द्रीय सरकार का जादू कला के प्रति नकारत्मक  रवैया के चलते आज जादू कला पतन के कागार पर है। सरकार को चाहिए की इस लुप्त होती कला और कलाकारों को प्रोत्साहित करें।
सरकार अब विभिन्न विधाओं से जुडे अनेकों कलाकारों को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मान कर चुकी है,लेकिन जादू को आज तक कला का दर्जा तक मिला जिससे भारतीय जादूगरों में खासा रोष है।
देश की प्राचीन 64 कलाओं में से जादू एक है। जिसका जिक्र हमारे शास्त्रों, पुराणों में भी हैंै। जादू कला के माध्यम से देश विदेश में भारत का नाम गौरव करने वाले जादूगर श्ंाकर का कहना है कि  ‘पदमश्री पुरस्कारों की 57 बरसों की गौरवशाली परंपरा में सिर्फ एक ही जादूगर पी सी सरकार को पदमश्री का सम्मान मिला था । परंतु इसके बाद इस क्षेत्र में अन्य किसी जादूगर को यह सम्मान नहीं मिला। हालांकि पिछले 57 बरसों में 2420 व्यक्तियों को भारत सरकार पदमश्री दे चुकी है।
लेखकों, पत्रकारों और कलाकारों की पुरानी संस्था ‘आधारशिला‘ ने राष्ट्रपति  और प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर मांग की है कि 36 बरसों से जादू कला और समाज सेवा को समर्पित सुप्रसिद्ध जादूगर सम्राट शंकर को पदमश्री से सम्मानित किया जाए।
‘आधारशिला‘ के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सरदाना ने राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल और प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को लिखें पत्र का जिक्र करते हुए पत्रकारों को बताया कि दुनियाभर में लोकप्रिय  जादूगर सम्राट शंकर को पदमश्री देने के लिए हरियाणा सरकार पिछले 14 बरसों से उनका नाम भारत सरकार को भेज रही है। लेकिन सरकार ने उन्हें फिर भी पदमश्री नहीं दिया। श्री सरदाना के अनुसार अब तक जादूगर शंकर के शो विधायक, सांसद से लेकर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तक अनेक हस्तियां देख चुकी हैं। सभी उनकी प्रशंसा करते हैं और वे  व्यक्तिगत रूप से अनेक बार उन्हें सम्मानित भी कर चुके हैं।

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